સામાન

जगत में जीव आता है तब और  जगत से जाता है  तब हाथ खाली ही होते हैं लेकिन  जगत में  जीने और पनपने के लिए तो कुछ  सामान और कुछ संबंध तो जरुरी होते ही हैं ।
विवेक तो सामानकी मात्रा और संबंधोकी सच्चाई बनाये रखने में  है नहीं कि उनको बेमतलब समझने में।   
वर्षा शाह 

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